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कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है Poem By Dr. Kumar Vishwas | कुमार विश्वास

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है Lyrics | Poem By Dr. Kumar Vishwas | कुमार विश्वास

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है Poem By Dr. Kumar Vishwas | कुमार विश्वास

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!

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मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!

समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नहीं सकता !
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नहीं सकता !!
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !
जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता !!

- कुमार विश्वास(Kumar Vishwas)
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