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डीएनए फिंगरप्रिंटिंग(DNA Fingerprinting) क्या है?

जनवरी 04, 2023

डीएनए फिंगरप्रिंटिंग(DNA Fingerprinting) In Hindi
डीएनए फिंगरप्रिंटिंग(DNA Fingerprinting) क्या है? इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालिए?

आनुवंशिक स्तर पर लोगों की पहचान सुनिश्चित करने की तकनीक को ही डीएनए फिंगरप्रिंटिंग या डीएनए प्रोफाइलिंग कहते हैं। वस्तुतः या एक जैविक तकनीक है, जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति के विभिन्न अवयवों - रुधिर, बाल, लार, वीर्य या अन्य कोशिकीय स्रोतों की सहायता से उसके डीएनए की पहचान सुनिश्चित की जाती है। 

डीएनए फिंगरप्रिंटिंग(DNA Fingerprinting) किस आधार पर कार्य करती है?

डीएनए फिंगरप्रिंटिंग(DNA Fingerprinting) मुख्यतः इस आधार पर कार्य करती है कि प्रत्येक मानव में पाई जाने वाली डीएनए पुनरावृत्ति(DNA Replication) एकसमान नहीं होती है अर्थात प्रत्येक व्यक्ति का डीएनए प्रारूप एक अद्वितीय प्रारूप होता है। 

डीएनए फिंगरप्रिंटिंग(DNA Fingerprinting) की पहचान किस प्रकार की जाती है?

डीएनए फिंगरप्रिंटिंग(DNA Fingerprinting) के अंतर्गत पहचान करने के लिए दो नमूने लिए जाते हैं- एक विवादित बच्चे अथवा संदिग्ध व्यक्ति का और दूसरा उसके माता-पिता या किसी नजदीकी सम्बन्धी(रक्त सम्बन्धी) का। यह ज्ञात है कि मात्र श्वेत रक्त कणिकाओं(WBCs) में ही डीएनए पाया जाता है, जबकि लाल रक्त कणिकाओं(RBCs) में डीएनए नहीं पाया जाता है। 
डीएनए फिंगरप्रिंट प्राप्त करने के लिए पहले प्राप्त नमूने का शुद्धीकरण किया जाता है। शुद्धिकृत डीएनए को रेस्ट्रिक्शन एंजाइम की सहायता से निश्चित बिंदुओं से काटा जाता है। इस प्रकार विभिन्न लम्बाई के हिस्सों को एक जेल(Gel) पर रखकर विद्युत प्रवाहित कि जाती है। छोटे हिस्से अपेक्षाकृत अधिक तेज़ी से धनाग्र(एनोड) कि ओर आकर्षित होते हैं। इस प्रकार ये क्रमबद्ध हो जाते हैं। इन द्विकुंडलित डीएनए को सोख्ता तकनीक (Blotting Technique) द्वारा एकल कुंडलियों के रूप में विभक्त किया जाता है। इन टुकड़ों को नायलॉन शीट पर स्थानांतरित किया जाता है। इन टुकड़ों को ऑटोरेडियोग्राफी तकनीक द्वारा रेडियोऐक्टिव तत्त्वों से युक्त कृत्रिम डीएनए से जोड़ा जाता है। 
एक्स-रे से गुजारे जाने पर रेडियोऐक्टिव तत्त्वों से जुड़े हुए हिस्से फिल्म पर काले धब्बे छोड़ते हैं। इस प्रकार एक निश्चित पैटर्न प्राप्त होता है, जिसे डीएनए फिंगरप्रिंटिंग कहते हैं।  इस तरह से अगर पहचान हेतु लिए गए दोनों ही नमूनों कीबना श्रेणियां एक समान छाप छोड़ती हैं तो डीएनए परीक्षण के पॉजिटिव होने की पुष्टि कर दी जाती है। 

What are the 5 steps of DNA fingerprinting?

प्रथम चरण में डीएनए का पृथक्करण तथा शुद्धिकरण किया जाता है। शुद्ध डीएनए में अनेक टैंडम पुनरावृत्त होते हैं।
द्वितीय चरण में डीएनए को विशिष्ट जगहों पर काटकर विखंडित किया जाता है। इसके लिए विशेष रेस्ट्रिक्शन एंज़ाइम प्रयोग में लाए जाते हैं। ये रासायनिक कैंचियों की तरह कार्य करते हैं।
तृतीय चरण में विखण्डित डीएनए को जैल पर लगाया जाता है। विद्युत आवेश देने पर ये खण्ड अपने स्थान से विस्थापित होने लगते हैं। अपनी लम्बाई के हिसाब से डीएनए खाण्ड अलग हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को इलेक्ट्रोफोरेसिस कहते हैं।
चतुर्थ चरण में उपर्युक्त अलग किए गए डीएनए खंडों का डी-नैचुरेशन किया जाता है, यानि दोनों तंतुओं को अलग-अलग किया जाता है।
पंचम चरण में संपूरक डीएनए से बने हुए रेडियो सक्रिय प्रोब की मदद से पुराने विखण्डित डीएनए में से विशेष खण्डों की पहचान की जाती है। अतः रेडियो सक्रिय प्रोब के कारण विशेष डीएनए खण्डों को पहचान लिया जाता है।

डीएनए फिंगरप्रिंटिंग(DNA Fingerprinting) का उपयोग क्या है?

डीएनए फिंगरप्रिंटिंग तकनीक का उपयोग आपराधिक मामलों की गुत्थियां सुलझाने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही मातृत्व, पितृत्व या व्यक्तिगत पहचान को निर्धारित करने के लिए इसका प्रयोग होता है। वर्तमान में पहचान ढूंढने के तरीकों में फिंगरप्रिंटिंग सबसे बेहतर मानी जाती है।

उपयोग 

    • पैतृक संपत्ति से सम्बंधित विवादों को सुलझाने के लिए। 
    • आनुवंशिक बीमारियों की पहचान एवं उनसे सम्बंधित चिकित्सकीय कार्यों के लिए। 
    • बच्चों के वास्तविक माता-पिता की पहचान के लिए। 
    • आपराधिक गतिविधियों से सम्बंधित गुत्थियों को सुलझाने के लिए। 
    • शवों की पहचान करने के लिए। 
    • अपराधों एवं पारिवारिक मामलों की जाँच में। 
    • प्रतिरक्षा प्रलेख में। 
    • आयुर्विज्ञान एवं स्वास्थ्य जाँच में। 
    • वंशावली विश्लेषण में। 
    • कृषि एवं बागवान में। 
    • शोध एवं उद्योग में। 

डीएनए फिंगरप्रिंटिंग का जनक कौन है?

दुनिया में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग के जनक सर एलेक जॉन जेफरीस हैं।

डीएनए की खोज कब और किसने की?

वैकल्पिक भानुमति में एक कोशिका बस एक प्रक्रिया बुलाया डीएनए प्रतिकृति में अपने आनुवंशिक जानकारी कॉपी कर सकते हैं। डी एन ए की रूपचित्र की खोज अंग्रेजी वैज्ञानिक जेम्स वॉटसन और फ्रान्सिस क्रिक के द्वारा सन 1953 में किया गया था। इस खोज के लिए उन्हें सन 1963 में नोबेल पुरस्कार सम्मानित किया गया।

डीएनए का पुराना नाम क्या है?

उन्होंने डीएनए का नाम उस समय न्यूक्लीक अम्ल दिया था. इसका नाम पहले न्यूक्लिन दिया गया क्योंकि ऐसा लगता था कि यह कोशिका नाभिक से आया है. वही 1874 के बाद, जब मिशर ने इसे प्रोटीन और एसिड घटकों में अलग किया तब इसे न्यूक्लिक एसिड के रूप में जाना जाने लगा.

भारत में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग कौन लाया?

लालजी सिंह को भारत में डीएनए फिंगर प्रिंट का प्रवर्तक भी कहा जाता है। उनका जन्म 5 जुलाई 1947 को हुआ था।

भारत और आसियान(ASEAN)

नवंबर 18, 2022

संदर्भ

हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific region) में बहुआयामी विकास और हस्तक्षेप की पृष्ठभूमि में पिछले कुछ दशकों में भारत की विदेश नीति में व्यापक परिवर्तन आया है।

1990 के दशक में ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ के साथ शुरुआत करते हुए भारत ने वर्ष 2014 में ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के रूप में अपनी नीति को आगे बढ़ाया है जहाँ वह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (Association of Southeast Asian Nations- ASEAN) के साथ अपनी साझेदारी को एक कदम और आगे ले जा रहा है, जिसने भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में संभावनाओं की तलाश करने का एक अवसर प्रदान किया है।

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चूँकि कई भू-राजनीतिक चुनौतियाँ मौजूद हैं जो सुचारू भारत-आसियान पारगमन को अवरुद्ध करती हैं, इसलिये यह प्रदर्शित करना महत्त्वपूर्ण है कि भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ आसियान की संभावनाओं से कैसे संगत होती है और भारत-आसियान संबंधों में विद्यमान चुनौतियों पर कैसे काबू पाती है।

Asian-Grouping

आसियान (ASEAN) क्या है?

यह एक क्षेत्रीय समूह है जो आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है। इसकी स्थापना अगस्त 1967 में बैंकॉक, थाईलैंड में आसियान के संस्थापकों अर्थात् इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर एवं थाईलैंड द्वारा आसियान घोषणा (बैंकॉक घोषणा) पर हस्ताक्षर के साथ की गई थी।
  • आसियान 10 देशों का समूह है जिसे दक्षिण-पूर्व एशिया के सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है।
    • इसमें इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, लाओस, ब्रुनेई, फिलीपींस, सिंगापुर, कंबोडिया, मलेशिया और म्यांमार शामिल हैं।
  • आसियान देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र के रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण मिलन-बिंदुओं पर स्थित हैं जो आसियान को क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों, दोनों के लिये एक केंद्र बिंदु बनाता है।

भारत और आसियान के बीच सहयोग के क्षेत्र

  • आर्थिक सहयोग: आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। भारत ने आसियान के साथ वर्ष 2009 में वस्तुओं पर और वर्ष 2014 में सेवाओं एवं निवेश पर एक मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement- FTA) पर हस्ताक्षर किये।
    • भारत और आसियान ने एक संयुक्त वक्तव्य भी अंगीकार किया है जहाँ मौजूदा रणनीतिक भागीदारी को व्यापक रणनीतिक भागीदारी (Strategic Partnership to Comprehensive Strategic Partnership) में उन्नत करने की घोषणा की गई है।
  • शांति और सुरक्षा: दोनों पक्षों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता, समुद्री सुरक्षा और हवाई क्षेत्र से उड़ान भर सकने की स्वतंत्रता को बनाए रखने तथा उसे बढ़ावा देने के महत्त्व की पुष्टि की है।
  • वित्तीय सहायता: भारत आसियान-भारत सहयोग कोष (ASEAN-India Cooperation Fund) और आसियान-भारत ग्रीन फंड जैसे विभिन्न तंत्रों के माध्यम से भारत आसियान देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • कनेक्टिविटी/संपर्क: भारत इस क्षेत्र में भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय (IMT) राजमार्ग और कलादान मल्टीमॉडल परियोजना जैसी कई कनेक्टिविटी परियोजनाएँ कार्यान्वित कर रहा है।
    • भारत और आसियान देशों ने हाल ही में कंबोडिया में आयोजित 19वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में एक व्यापक रणनीतिक भागीदारी (comprehensive strategic partnership) स्थापित कर अपने संबंधों को एक नई ऊर्जा प्रदान की है।

आसियान से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ

  • प्रादेशिक विवाद: आसियान सदस्य देश लंबे समय से इच्छुक शक्तियों के साथ क्षेत्रीय विवादों में उलझे हुए हैं। उदाहरण के लिये, दक्षिण चीन सागर में विभिन्न क्षेत्रों पर चीन के दावों के विरुद्ध ब्रुनेई दारुस्सलाम, मलेशिया, फिलीपींस और वियतनाम के भी अलग-अलग प्रतिस्पर्द्धी दावे मौजूद हैं।
  • हिंद-प्रशांत प्रतिद्वंद्विता: लंबे समय से चीन को प्राथमिक आर्थिक भागीदार और अमेरिका को प्राथमिक सुरक्षा गारंटर के रूप में देखना आसियान संतुलन के केंद्र में रहा है।
    • लेकिन वर्तमान में वह संतुलन बिगड़ रहा है और रूस-यूक्रेन युद्ध ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख शक्तियों की प्रतिद्वंद्विता के तेज़ होने से उस अंतर्निहित स्थिरता को खतरा पहुँच रहा है, जिस पर क्षेत्रीय विकास और समृद्धि टिकी हुई है।
  • अस्थिर भू-अर्थशास्त्र: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव भू-आर्थिक परिणाम उत्पन्न कर रहा है जहाँ व्यापार एवं प्रौद्योगिकीय सहयोग के साथ-साथ आपूर्ति शृंखला प्रत्यास्थता के मुद्दे चरम पर हैं।
    • यह परिदृश्य ऐसे समय बन रहा है जब आसियान इन चुनौतियों के प्रबंधन के संबंध में एक आंतरिक रूप से विभाजित संगठन बना हुआ है।
  • भारत-आसियान चुनौती: आसियान देशों के साथ विभिन्न द्विपक्षीय सौदों को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है, जिससे आर्थिक संबंधों के विभिन्न पहलू अवरुद्ध बने हुए हैं।
    • भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग जैसी विभिन्न कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिये भारत की प्रतिबद्धता के बावजूद, वे अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। इसके विपरीत, चीन का ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ विभिन्न आसियान देशों का भरोसा प्राप्त कर रहा है।

आगे की राह

  • प्रत्यास्थी आपूर्ति शृंखला का निर्माण: आसियान और भारत के बीच मूल्य शृंखलाओं के संबंध में वर्तमान संलग्नता पर्याप्त नहीं है। आसियान और भारत उभरते हुए परिदृश्य का लाभ उठा सकते हैं तथा नई एवं प्रत्यास्थी आपूर्ति शृंखलाओं के निर्माण के लिये एक दूसरे का समर्थन कर सकते हैं।
    • हालाँकि, इस अवसर का लाभ उठा सकने के लिये आसियान और भारत को अपनी लॉजिस्टिक्स सेवाओं का उन्नयन करना होगा और परिवहन अवसंरचना को सुदृढ़ बनाना होगा।
  • हिंद-प्रशांत में समुद्री सुरक्षा: हिंद-प्रशांत क्षेत्र की समुद्री सुरक्षा भारत के साथ-साथ आसियान के हितों की सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • दोनों पक्षों को समुद्री पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बिना संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करने की ज़रूरत है। महासागर की क्षमता का संवहनीय तरीके से दोहन करने के लिये उन्हें प्रबल एवं ज़िम्मेदार पहल करने की आवश्यकता है।
    • इसके साथ ही, आसियान को दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में मौजूद विवादों को हल करने के लिये संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UN Convention for the Law of the Sea-UNCLOS) के सिद्धांतों पर बल देना चाहिये।
  • क्षेत्रीय पर्यटन: भारत और आसियान को क्षेत्रीय पर्यटन तथा लोगों के आपसी संपर्क को बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिये जहाँ पहले से ही एक सभ्यतागत और सांस्कृतिक संबंध मौजूद है।
  • ‘एक्ट-ईस्ट पॉलिसी’ का क्रियान्वयन: साझा चिंताओं पर पारस्परिकता एवं आपसी समझ आसियान और भारत दोनों को कुछ चुनौतियों से उबरने में मदद करेगी।
    • डिजिटलीकरण, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि, शिक्षा और हरित विकास के क्षेत्र में समन्वय के माध्यम से भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी की क्षमताएँ साकार हो सकेंगी।
  • Source: Drishti IAS

मिशन लाइफ | Mission LiFE

अक्तूबर 21, 2022

 

पीएम ने एकता नगर, केवडिया, गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में मिशन लाइफ का शुभारंभ

किया महामहिम श्री एंटोनियो गुटेरेस के साथ द्विपक्षीय बैठक में भाग लिया, संयुक्त राष्ट्र महासचिव

विश्व नेताओं ने पहल के लिए प्रधान मंत्री को बधाई दी और

भारत द्वारा की गई प्रतिबद्धता से अत्यधिक प्रोत्साहित किया। पर्यावरण की दृष्टि से अच्छी नीतियों का पालन करें: संयुक्त राष्ट्र महासचिव

श्री गुटेरेस का गोवा से पैतृक संबंध है, गुजरात में उनका स्वागत करना परिवार के एक सदस्य का स्वागत करने जैसा है: पीएम 

"जलवायु परिवर्तन सिर्फ नीति बनाने से परे है"

'मिशन लाइफ़ ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को लोकतांत्रिक बनाया , जिसमें हर कोई योगदान दे सकता है"

"मिशन लाइफ हम सभी को पर्यावरण का ट्रस्टी बनाता है"

"मिशन लाइफ़ पृथ्वी के लोगों को ग्रह समर्थक लोगों के रूप में एकजुट करता है"

"'कम करें, पुन: उपयोग और रीसायकल' और परिपत्र अर्थव्यवस्था हजारों वर्षों से भारतीयों की जीवन शैली का हिस्सा रही है"

"भारत कैसे प्रगति और प्रकृति का एक प्रमुख उदाहरण बन गया है" हाथ से जा सकते हैं"

"जब भी भारत और संयुक्त राष्ट्र ने एक साथ काम किया है, दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के नए तरीके खोजे गए हैं"

प्रधान मंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव, महामहिम श्री एंटोनियो गुटेरेस के साथ एक द्विपक्षीय बैठक में भाग लिया और बाद में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, एकता नगर, केवडिया, गुजरात में मिशन लाइफ का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री और संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर पुष्पांजलि अर्पित की। संयुक्त राष्ट्र के सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 11 राष्ट्रों के प्रमुखों द्वारा मिशन लाइफ के शुभारंभ पर बधाई वीडियो संदेश भी प्रसारित किए गए।

मिशन लाइफ | Mission LiFE
मिशन लाइफ | Mission LiFE

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधान मंत्री ने बताया कि भारत महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के लिए एक दूसरे घर की तरह है और उन्होंने अपनी युवावस्था के दिनों में कई बार भारत की यात्रा की थी। उन्होंने आगे भारत में गोवा राज्य के साथ श्री गुटेरेस के पैतृक संबंध की ओर इशारा किया। प्रधान मंत्री ने भारत आने का अवसर लेने के लिए श्री गुटेरेस को धन्यवाद दिया और इस बात पर प्रकाश डाला कि गुजरात में उनका स्वागत करना परिवार के एक सदस्य का स्वागत करने जैसा है।

प्रधान मंत्री ने मिशन लाइफ़ पहल को शुरू करने के लिए भारत को मिले समर्थन पर प्रसन्नता व्यक्त की और सभी राष्ट्रों के प्रमुखों को इस महान अवसर पर बधाई संदेश भेजने के लिए धन्यवाद दिया। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एकता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने कहा कि मिशन लाइफ का शुभारंभ भारत के गौरव की एक विशाल प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से पहले हो रहा है, सरदार वल्लभ भाई पटेल। उन्होंने कहा, "दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने में प्रेरणा का स्रोत होगी।"

"जब मानक असाधारण होते हैं, तो रिकॉर्ड बहुत बड़े होते हैं", प्रधान मंत्री ने टिप्पणी की। गुजरात में हो रहे प्रक्षेपण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रधान मंत्री ने बताया कि अक्षय ऊर्जा और जलवायु संरक्षण की दिशा में कदम उठाने वाला गुजरात देश का पहला राज्य था। चाहे नहरों पर सोलर पैनल लगाना हो या राज्य के सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए जल संरक्षण परियोजनाएं शुरू करना हो, गुजरात हमेशा एक नेता और एक ट्रेंडसेटर के रूप में आगे आया है। 

प्रधान मंत्री ने प्रचलित धारणा की ओर इशारा किया कि जलवायु परिवर्तन केवल नीति से संबंधित एक मुद्दा है जो एक विचार प्रक्रिया की ओर जाता है जो इस सभी महत्वपूर्ण मुद्दे को केवल सरकार या अंतर्राष्ट्रीय संगठनों पर छोड़ देता है। उन्होंने कहा कि लोग अपने परिवेश में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अनुभव कर रहे हैं और पिछले कुछ दशकों में अप्रत्याशित आपदाएं देखी गई हैं। यह स्पष्ट रूप से स्पष्ट कर रहा है कि जलवायु परिवर्तन केवल नीति-निर्माण से परे है और लोग स्वयं यह पा रहे हैं कि उन्हें एक व्यक्ति, परिवार और समुदाय के रूप में पर्यावरण में योगदान देना चाहिए।

प्रधान मंत्री ने टिप्पणी की, "मिशन लाइफ का मंत्र 'पर्यावरण के लिए जीवन शैली' है। मिशन लाइफ के लाभों पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह इस धरती की सुरक्षा के लिए लोगों की शक्तियों को जोड़ता है, और उन्हें इसका बेहतर तरीके से उपयोग करना सिखाता है। उन्होंने रेखांकित किया कि मिशन लाइफ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को लोकतांत्रिक बनाता है, जिसमें हर कोई अपनी क्षमता के भीतर योगदान दे सकता है। "मिशन लाइफ हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए अपने दैनिक जीवन में जो कुछ भी किया जा सकता है उसे करने के लिए प्रेरित करता है। मिशन लाइफ का मानना ​​है कि अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है। उन्होंने बिजली बिल कम करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए भारत में एलईडी बल्ब को अपनाने का उदाहरण दिया।

गुजरात को महात्मा गांधी का जन्मस्थान बताते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा, "वह उन विचारकों में से एक थे जिन्होंने बहुत पहले पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के साथ सद्भाव में जीवन जीने के महत्व को समझा था। उन्होंने ट्रस्टीशिप की अवधारणा विकसित की। मिशन लाइफ हम सभी को पर्यावरण का ट्रस्टी बनाता है। ट्रस्टी वह होता है जो संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग की अनुमति नहीं देता है। एक ट्रस्टी एक पोषणकर्ता के रूप में काम करता है न कि एक शोषक के रूप में ”

प्रधान मंत्री ने विस्तार से बताया कि मिशन लाइफ पी3 मॉडल यानी प्रो प्लैनेट पीपल की भावना को बढ़ाता है। मिशन लाइफ, पृथ्वी के लोगों को ग्रह समर्थक लोगों के रूप में एकजुट करता है, उन सभी को उनके विचारों में एकजुट करता है। यह 'ग्रह की जीवन शैली, ग्रह के लिए और ग्रह द्वारा' के मूल सिद्धांतों पर कार्य करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अतीत की गलतियों से सीख लेकर ही भविष्य का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। उन्होंने याद किया कि भारत में हजारों वर्षों से प्रकृति की पूजा करने की परंपरा रही है। वेदों में प्रकृति के तत्वों जैसे जल, पृथ्वी, भूमि, अग्नि और जल के महत्व का सटीक उल्लेख है। प्रधान मंत्री ने अथर्ववेद को उद्धृत किया और कहा, "'माता भूमिय्या पुत्रोहम पृथ्वीव्यः' यानी पृथ्वी हमारी मां है और हम उसके बच्चे हैं।"

प्रधान मंत्री ने 'रिड्यूस, रीयूज एंड रिसाइकल' और सर्कुलर इकोनॉमी की अवधारणा पर प्रकाश डाला और उल्लेख किया कि यह हजारों वर्षों से भारतीयों की जीवन शैली का हिस्सा रहा है। दुनिया के अन्य हिस्सों की बात करते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि ऐसी प्रथाएं प्रचलित हैं, जो हमें प्रकृति के साथ सद्भाव में चलने के लिए प्रेरित करती हैं। उन्होंने कहा, "मिशन लाइफ में प्रकृति के संरक्षण से जुड़ी हर उस जीवन शैली को शामिल किया जाएगा, जिसे हमारे पूर्वजों ने अपनाया था और जिसे आज हमारी जीवनशैली का हिस्सा बनाया जा सकता है।"

भारत जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। आज, प्रधान मंत्री ने सूचित किया, "भारत में वार्षिक प्रति व्यक्ति कार्बन फुटप्रिंट केवल 1.5 टन है, जबकि विश्व औसत प्रति वर्ष 4 टन है।" फिर भी, भारत जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए सबसे आगे काम कर रहा है। श्री मोदी ने हर जिले में उज्ज्वला योजना, 75 'अमृत सरोवर' जैसी पहलों और बर्बादी से धन पर अभूतपूर्व जोर देने के बारे में बात की। आज भारत के पास दुनिया में अक्षय ऊर्जा की चौथी सबसे बड़ी क्षमता है। “आज हम पवन ऊर्जा में चौथे और सौर ऊर्जा में पांचवें स्थान पर हैं। पिछले 7-8 वर्षों में भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता में लगभग 290 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हमने समय सीमा से 9 साल पहले गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से बिजली क्षमता का 40 प्रतिशत हासिल करने का लक्ष्य भी हासिल कर लिया है। हमने पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य भी हासिल किया था और वह भी समय सीमा से 5 महीने पहले। राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के माध्यम से भारत पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोत की ओर बढ़ा है। इससे भारत और दुनिया के कई देशों को नेट जीरो के अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।" भारत इस बात का एक प्रमुख उदाहरण बन गया है कि कैसे प्रगति और प्रकृति साथ-साथ चल सकती है। अब जबकि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, हमारा वन क्षेत्र भी बढ़ रहा है और वन्यजीवों की संख्या भी बढ़ रही है, उन्होंने कहा। इससे भारत और दुनिया के कई देशों को नेट जीरो के अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।" भारत इस बात का एक प्रमुख उदाहरण बन गया है कि कैसे प्रगति और प्रकृति साथ-साथ चल सकती है। अब जबकि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, हमारा वन क्षेत्र भी बढ़ रहा है और वन्यजीवों की संख्या भी बढ़ रही है, उन्होंने कहा। इससे भारत और दुनिया के कई देशों को नेट जीरो के अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।" भारत इस बात का एक प्रमुख उदाहरण बन गया है कि कैसे प्रगति और प्रकृति साथ-साथ चल सकती है। अब जबकि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, हमारा वन क्षेत्र भी बढ़ रहा है और वन्यजीवों की संख्या भी बढ़ रही है, उन्होंने कहा।

वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड के वैश्विक अभियान पर प्रकाश डालते हुए, प्रधान मंत्री ने टिप्पणी की कि भारत अब ऐसे लक्ष्यों के प्रति अपने संकल्प को मजबूत करते हुए दुनिया के साथ अपनी साझेदारी को और भी बढ़ाना चाहता है। “डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए गठबंधन के निर्माण का नेतृत्व करके, भारत ने दुनिया को पर्यावरण संरक्षण की अपनी अवधारणा से अवगत कराया है। मिशन लाइफ इस श्रृंखला का अगला कदम है।” प्रधानमंत्री ने कहा।

प्रधान मंत्री ने इस तथ्य को नोट किया कि जब भी भारत और संयुक्त राष्ट्र ने एक साथ काम किया है, दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के नए तरीके खोजे गए हैं। प्रधान मंत्री ने कहा, "भारत ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव रखा था, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित किया गया था। आज यह दुनिया भर के लाखों लोगों को स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित कर रहा है।" अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष का उदाहरण देते हुए, जिसे संयुक्त राष्ट्र के लिए गहरा समर्थन मिला, प्रधान मंत्री ने टिप्पणी की कि भारत दुनिया को अपने पारंपरिक और पर्यावरण के अनुकूल, मोटे अनाज से जोड़ना चाहता है। उन्होंने कहा कि अगले साल अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष की चर्चा पूरी दुनिया में होगी। उन्होंने आगे कहा, "मिशन लाइफ इसे दुनिया के हर कोने, हर देश में ले जाने में सफल होगा।" "हमें इस मंत्र को याद रखना है - प्रकृति रक्षति रक्षिता, यानी जो प्रकृति की रक्षा करते हैं, प्रकृति उनकी रक्षा करती है। मुझे विश्वास है कि हम अपने मिशन लाइफ का पालन करके एक बेहतर दुनिया का निर्माण करेंगे" प्रधान मंत्री ने निष्कर्ष निकाला।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव, महामहिम श्री एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि हमारे ग्रह के लिए इस खतरनाक समय में, हमें डेक पर सभी की जरूरत है। लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट-लाइफ इनिशिएटिव को आवश्यक और आशावादी सच्चाइयों को उजागर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। हम सभी, व्यक्ति और समुदाय, हमारे ग्रह और हमारे सामूहिक भविष्य की रक्षा के समाधान का हिस्सा बन सकते हैं और होना चाहिए। आखिरकार, अधिक खपत जलवायु, परिवर्तन, जैव विविधता हानि और प्रदूषण के ट्रिपल ग्रह आपातकाल की जड़ में है। हम अपनी जीवन शैली का समर्थन करने के लिए 1.6 ग्रह पृथ्वी के समतुल्य का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बड़ी ज्यादती को बड़ी असमानता से जोड़ा गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि लाइफ़ आंदोलन की पहल पूरी दुनिया में फैले। "मैं पर्यावरण की दृष्टि से अच्छी नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता और अक्षय ऊर्जा में निवेश बढ़ाने की अपनी प्रतिज्ञा से बहुत उत्साहित हूं, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का समर्थन करता हूं... हमें अक्षय क्रांति लाने की जरूरत है और मैं भारत के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं। इस एजेंडे को आगे बढ़ाने में।" मिस्र में आगामी सीओपी 27 के बारे में बात करते हुए, महासचिव ने कहा कि सम्मेलन पेरिस समझौते के सभी स्तंभों पर विश्वास प्रकट करने और कार्रवाई में तेजी लाने के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक अवसर प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा, "जलवायु प्रभावों और इसकी विशाल अर्थव्यवस्था के प्रति अपनी संवेदनशीलता के साथ, भारत एक महत्वपूर्ण ब्रिजिंग भूमिका निभा सकता है", उन्होंने कहा। मिस्र में आगामी सीओपी 27 के बारे में बात करते हुए, महासचिव ने कहा कि सम्मेलन पेरिस समझौते के सभी स्तंभों पर विश्वास प्रकट करने और कार्रवाई में तेजी लाने के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक अवसर प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा, "जलवायु प्रभावों और इसकी विशाल अर्थव्यवस्था के प्रति अपनी संवेदनशीलता के साथ, भारत एक महत्वपूर्ण ब्रिजिंग भूमिका निभा सकता है", उन्होंने कहा। मिस्र में आगामी सीओपी 27 के बारे में बात करते हुए, महासचिव ने कहा कि सम्मेलन पेरिस समझौते के सभी स्तंभों पर विश्वास प्रकट करने और कार्रवाई में तेजी लाने के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक अवसर प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा, "जलवायु प्रभावों और इसकी विशाल अर्थव्यवस्था के प्रति अपनी संवेदनशीलता के साथ, भारत एक महत्वपूर्ण ब्रिजिंग भूमिका निभा सकता है", उन्होंने कहा।

महात्मा गांधी का हवाला देते हुए, श्री गुटेरेस ने कहा, "दुनिया में सभी की जरूरतों के लिए पर्याप्त है लेकिन हर किसी के लालच के लिए नहीं।" उन्होंने आगे कहा कि हमें पृथ्वी के संसाधनों का ज्ञान और सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अर्थव्यवस्थाओं और जीवन शैली को बदलने का संकल्प लिया ताकि हम पृथ्वी के संसाधनों को उचित रूप से साझा कर सकें और केवल वही ले सकें जो हमें चाहिए। उन्होंने सभी से भारत पर भरोसा करने का भी आग्रह किया क्योंकि यह जी 20 की अध्यक्षता करता है ताकि स्थिरता के एक नए युग की शुरुआत करने में मदद मिल सके, पूरी तरह से अपने इतिहास, इसकी संस्कृति और इसकी परंपरा के अनुरूप।”

इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री, श्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय विदेश मंत्री, श्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर और संयुक्त राष्ट्र महासचिव, महामहिम श्री एंटोनियो गुटेरेस भी उपस्थित थे।

पार्श्वभूमि

मिशन लाइफ का उद्देश्य स्थिरता के प्रति हमारे सामूहिक दृष्टिकोण को बदलने के लिए त्रिस्तरीय रणनीति का पालन करना है। सबसे पहले व्यक्तियों को अपने दैनिक जीवन (मांग) में सरल लेकिन प्रभावी पर्यावरण के अनुकूल कार्यों का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करना है; दूसरा, उद्योगों और बाजारों को बदलती मांग (आपूर्ति) के लिए तेजी से प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाना और; तीसरा है टिकाऊ खपत और उत्पादन (नीति) दोनों का समर्थन करने के लिए सरकार और औद्योगिक नीति को प्रभावित करना


 

Source: PIB

स्वदेश दर्शन योजना 2.0 | Swadeshi Darshan Yojana 2.0

अक्तूबर 21, 2022

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 'स्वदेश दर्शन 2.0' (जनवरी 2023 से शुरू) के पहले चरण के हिस्से के रूप में, सरकार ने भारत की नई घरेलू पर्यटन नीति को बढ़ावा देने के लिये देश भर के 15 राज्यों की पहचान की है।

स्वदेश दर्शन योजना 2.0

  • यह नीति थीम आधारित पर्यटन सर्किट से इतर गंतव्य पर्यटन को पूर्व रूप में लाने पर केंद्रित है।
  • पहचान किये गए कुछ प्रमुख स्थान उत्तर प्रदेश में झांसी और प्रयागराज, मध्य प्रदेश में ग्वालियर, चित्रकूट और खजुराहो तथा महाराष्ट्र में अजंता एवं एलोरा हैं।

स्वदेश दर्शन योजना:

  • परिचय:
    • इसे वर्ष 2014-15 में देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट के एकीकृत विकास के लिये शुरू किया गया था। इस योजना के तहत पंद्रह विषयगत सर्किटों की पहचान की गई है- बौद्ध सर्किट, तटीय सर्किट, डेज़र्ट सर्किट, इको सर्किट, हेरिटेज सर्किट, हिमालयन सर्किट, कृष्णा सर्किट, नॉर्थ ईस्ट सर्किट, रामायण सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, सूफी सर्किट, तीर्थंकर सर्किट, जनजातीय सर्किट, वन्यजीव सर्किट।
    • यह केंद्र द्वारा 100% वित्तपोषित है और केंद्र एवं राज्य सरकारों की अन्य योजनाओं के साथ अभिसरण हेतु तथा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और कॉर्पोरेट क्षेत्र की कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी (CSR) पहल के लिये उपलब्ध स्वैच्छिक वित्तपोषण का लाभ उठाने के प्रयास किये जाते हैं।
  • उद्देश्य:
    • पर्यटन को आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन के प्रमुख इंजन के रूप में स्थापित करना।
    • नियोजित और प्राथमिकता के आधार पर पर्यटन क्षमता वाले सर्किट विकसित करना।
    • पहचान किये गए क्षेत्रों में आजीविका उत्पन्न करने के लिये देश के सांस्कृतिक और विरासत मूल्य को बढ़ावा देना।
    • सर्किट/गंतव्यों में विश्व स्तरीय स्थायी बुनियादी ढाँचे को विकसित करके पर्यटकों के आकर्षण को बढ़ाना।
    • समुदाय आधारित विकास और गरीब समर्थक पर्यटन दृष्टिकोण का पालन करना।
    • आय के बढ़ते स्रोतों, बेहतर जीवन स्तर और क्षेत्र के समग्र विकास के संदर्भ में स्थानीय समुदायों में पर्यटन के संदर्भ में जागरूकता बढ़ाना।
    • उपलब्ध बुनियादी ढाँचे, राष्ट्रीय संस्कृति और देश भर में प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट स्थलों के संदर्भ में विषय-आधारित सर्किटों के विकास की संभावनाओं एवं लाभों का पूरा उपयोग करना।
    • आगंतुक अनुभव/संतुष्टि को बढ़ाने के लिये पर्यटक सुविधा सेवाओं का विकास करना।

स्वदेश दर्शन योजना 2.0:

  • परिचय:
    • 'वोकल फॉर लोकल' के मंत्र के साथ स्वदेश दर्शन 2.0 नामक नई योजना का उद्देश्य पर्यटन गंतव्य के रूप में भारत की पूरी क्षमता को साकार कर "आत्मनिर्भर भारत" के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
    • स्वदेश दर्शन 2.0 एक वृद्धिशील परिवर्तन नहीं है, बल्कि स्थायी और ज़िम्मेदार पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिये स्वदेश दर्शन योजना को एक समग्र मिशन के रूप में विकसित करने हेतु पीढ़ीगत बदलाव है।
    • यह पर्यटन स्थलों के सामान्य और विषय-विशिष्ट विकास के लिये बेंचमार्क एवं मानकों के विकास को प्रोत्साहित करेगी ताकि राज्य परियोजनाओं की योजना तैयार करने एवं विकास करते समय बेंचमार्क तथा मानकों का पालन किया जा सके।
    • योजना के तहत पर्यटन क्षेत्र के लिये निम्नलिखित प्रमुख विषयों की पहचान की गई है।
      • संस्कृति और विरासत
      • साहसिक पर्यटन
      • पारिस्थितिकी पर्यटन
      • कल्याण पर्यटन
      • एमआईसीई पर्यटन
      • ग्रामीण पर्यटन
      • तटीय पर्यटन
      • परिभ्रमण- महासागर और अंतर्देशीय।
  • महत्त्व:
    • संशोधित योजना स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में पर्यटन के योगदान को बढ़ाने का प्रयास करती है।
    • इसका उद्देश्य स्थानीय समुदायों के लिये स्वरोज़गार सहित रोज़गार सृजित करना, पर्यटन एवं आतिथ्य में स्थानीय युवाओं के कौशल तथा निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ाना और स्थानीय सांस्कृतिक व प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित एवं समृद्ध बनाना है।

पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु अन्य पहल:

  • ‘प्रसाद’ (PRASHAD) योजना
    • यह योजना धार्मिक पर्यटन अनुभव को समृद्ध करने हेतु पूरे भारत में तीर्थस्थलों का संवर्धन एवं उनको पहचान प्रदान करने पर केंद्रित है।
    • इसका उद्देश्य तीर्थस्थलों को प्राथमिकता, नियोजित और टिकाऊ तरीके से एकीकृत करना है ताकि एक पूर्ण धार्मिक पर्यटन अनुभव प्रदान किया जा सके।
  • प्रतिष्ठित पर्यटक स्थल:
  • बौद्ध सम्मेलन:
    • बौद्ध सम्मेलन भारत को बौद्ध गंतव्य और दुनिया भर के प्रमुख बाज़ारों के रूप में बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर वैकल्पिक वर्ष में आयोजित किया जाता है।
  • देखो अपना देश पहल:
    • देश के भीतर नागरिकों को यात्रा हेतु प्रोत्साहित करने और घरेलू पर्यटन सुविधाओं तथा बुनियादी ढाँचे के विकास को मज़बूत बनाने के लिये इसे पर्यटन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 में शुरू किया गया था।

भारत में पर्यटन क्षेत्र परिदृश्य:

  • तीसरे पर्यटन सैटेलाइट विवरण के अनुसार देश में 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के दौरान रोज़गार में पर्यटन का योगदान क्रमशः 14.78%, 14.87% और 15.34% रहा है।
  • पर्यटन द्वारा सृजित कुल रोज़गार 72.69 मिलियन (2017-18), 75.85 मिलियन (2018-19) और 79.86 मिलियन (2019-20) रहा है।
  • विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद की 2019 की रिपोर्ट में विश्व जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में योगदान के मामले में भारत के पर्यटन को 10वें स्थान पर रखा गया है।
    • वर्ष 2019 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में यात्रा और पर्यटन का योगदान कुल अर्थव्यवस्था का 6.8% था अर्थात् 13,68,100 करोड़ रुपए (194.30 अरब अमेरिकी डॉलर)।