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तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको Poem By Vishnu saxena | Vishnu Saxena ki Kavita | Vishnu Saxena ki Shayari | Vishnu Saxena Poetry

तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको Poem By Vishnu saxena | Vishnu Saxena ki Kavita | Vishnu Saxena ki Shayari | Vishnu Saxena Poetry

तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको By Vishnu saxena
 तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको By Vishnu saxena

तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको
इससे पहले कि कोई और बहा ले मुझको
आईना बन के गुज़ारी है ज़िंदगी मैंने 
टूट जाऊंगा बिखरने से बचा ले मुझको

प्यास बुझ जाए तो शबनम ख़रीद सकता हूं
ज़ख़्म मिल जाएं तो मरहम ख़रीद सकता हूं
ये मानता हूं मैं दौलत नहीं कमा पाया
मगर तुम्हारा हर एक ग़म ख़रीद सकता हूं

जब भी कहते हो आप हमसे कि अब चलते हैं
हमारी आंख से आंसू नहीं संभलते हैं
अब न कहना कि संग दिल कभी नहीं रोते
जितने दरिया हैं पहाड़ों से ही निकलते हैं

तू जो ख़्वाबों में भी आ जाए तो मेला कर दे
ग़म के मरुथल में भी बरसात का रेला कर दे
याद वो है ही नहीं आए जो तन्हाई में
तेरी याद आए तो मेले में अकेला कर दे

सोचता था कि मैं तुम गिर के संभल जाओगे
रौशनी बन के अंधेरों का निगल जाओगे
न तो मौसम थे न हालात न तारीख़ न दिन
किसे पता थी कि तुम ऐसे बदल जाओगे

जो आज कर गयी घायल वो हवा कौन सी है
जो दर्दे दिल करे सही वो दवा कौन सी है
तुमने इस दिल को गिरफ़्तार आज कर तो लिया
अब ज़रा ये तो बता दो दफ़ा कौन सी है

:- Dr. Vishnu Saxena(विष्णु सक्सेना)

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