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द हैप्पी प्रिंस स्टोरी (The Happy Prince) | प्रसन्न राजकुमार

द हैप्पी प्रिंस स्टोरी (The Happy Prince) | प्रसन्न राजकुमार
द हैप्पी प्रिंस स्टोरी (The Happy Prince) | प्रसन्न राजकुमार 

द हैप्पी प्रिंस स्टोरी (The Happy Prince) के लेखक ऑस्कर वाइल्ड (Oscar Wilde) हैं। 

यह एक राजा के राजकुमार की कहानी है। राजा स्वाभाव से बहुत दयालु, और कर्म से बहुत कर्मठ व्यक्ति थे। वे चाहते थे कि हमारे राज्य का अंतिम व्यक्ति भी सुख से अपना जीवन व्यतीत करे।  इसके लिए वे अपने धन को जनता में बंटवा देते थे। जिससे सभी लोग उनसे बहुत प्रेम करते थे।  राजकुमार भी पिता कि ख़ुशी में खुश रहते थे, पर एक दिन राजा, बीमार पड़ गए, और अचानक उनकी मृत्यु हो गई! 

इस घटना को राजकुमार बर्दास्त नहीं कर पाए, अपने पिता के मृत्यु के कुछ दिन बाद वह भी मर गए। लोगों ने राजा के द्वारा दिए गए, सोने और कीमती पत्थरो को इकठ्ठा कर, राजकुमार का सोने से मिढ़ा हुआ मूर्ति बनवा दिए। और उस मूर्ति का नाम रख दिए, हैप्पी प्रिंस। इस प्रकार से बुत हैप्पी प्रिंस के नाम से फेमस हो गया। 

अब सुनते है आगे .......हम सभी ने अक्सर महापुरुषों कि मूर्तियों को, शहर के चौराहो पर लगी देखते है ,,

जहां आते जाते लोग उनको नमन करते है। वैसे ही इस कहानी में हैप्पी प्रिंस कि मूर्ति, शहर में ऊँचे स्तम्भ पर बनाया गया था। मूर्ति पूरी तरह से सोने से कवर की गयी थी। सोने के छोटे -छोटे पत्ते लगाए गए थे। आँखे चमकीले नीलम की बनायीं गयी थी। तलवार के hilt पर मणि चमक रही थी। 

आमतौर पर देखा गया है कि कोई न कोई पक्षी मूर्तियों पर आकर बैठ जाता है। वैसे ही हैप्पी प्रिंस के बुत पर ,एक अबाबील पक्षी अपने घर से, इजिप्ट जाने के लिए उड़ान भरी थी। 

वह उसी रास्ते से उड़ के जा रहा था, जहां पर हैप्पी प्रिंस का स्टेचू  था।  चूँकि अब शाम हो चुकी थी , इसलिए उसने हैप्पी प्रिंस को अपने ठहरने के लिए चुना। उसके लिए वह बेस्ट जगह थी। अब वह नींद कि पहली झपकी ले ही रहा था कि अचानक पानी की एक मोटी बूँद उसके ऊपर गिरी। अबाबील आश्चर्य में पड़ गया कि विथाउट क्लाउड , विथाउट रेन हाउ इज इट पॉसिबल। 

पानी की दूसरी बूँद उसे उड़ने के लिए विवश कर रहा था। वह उड़ने ही वाला था कि तीसरी बूँद टपक पड़ी और उसकी नजर रोते हुए प्रिन्स पर पड़ गयी। अब यही से दोनों कि फ्रेंडशिप कि शुरुआत हुई।  हैप्पी प्रिंस  ने अपनी पूरी आप बीती अबाबील के साथ शेयर कर दी। 

हैप्पी प्रिंस ने बताया, कि जब  मै जीवित था तो आंसू क्या होते है , नहीं जनता था। मेरे राजदरबारी मुझे हैप्पी प्रिंस बुलाते थे। लेकिन आज जब मै शहर में सबसे ऊँचे स्तम्भ पर खड़ा  हूँ, तो मुझे शहर के सब कष्ट दिखाई देते है। और ये कष्ट मुझे कष्ट देते है। और इसलिए मेरे आंसू बह रहे है। अबाबील सहानुभूति प्रकट करते हुए बोल।  क्या मै तुम्हारे लिए कुछ कर सकता हूँ ?

हाँ, क्यों नहीं ,देखो गली के अंत में एक गरीब महिला एक डांसर कि ड्रेस में कढ़ाई कर रही है। जिसे वह राजमहल में नृत्य करते वक्त पहनेगी। उसका बेटा बिस्तर पर भूंखा और बीमार पड़ा है। लेकिन वह उसे केवल पानी ही दे सकती है। उसके पास और कुछ नहीं है। ऐसा करो, तुम मेरी तलवार में जो मणि है, उसे निकालकर उस महिला को दे दो। अबाबील ने दोस्ती निभाई , वह राजकुमार के लिए अपना इजिप्ट जाना पोस्टपोन कर दिया। और उस महिला को मणि पहुंचा दी। साथ ही बीमार बच्चे को अपने पंखो से ठंडी हवा भी की, जिससे लड़का गहरी नींद में सो गया। 

अबाबील इस घटना को सुनाते कहा ," ठण्ड है फिर भी मुझे गर्मी का एहसास हो रहा है। इस पर हैप्पी प्रिंस ने कहा, ऐसा इसलिए क्योंकि तुमने एक अच्छा काम किया है।हैप्पी प्रिंस ने अबाबील से एक दिन और ठहरने के लिए कहा ," उसने बताया कि अभी मै एक नाटककार  को देख रहा हूँ। जो अपने छोटे कमरे में  एक नाटक को समाप्त करने की कोशिश कर रहा है। पर इतनी ठण्ड लग रही है कि वह लिख नहीं सकता। उसे भूंख भी लगी है।

तुम मेरी आँख से एक नीलम निकाल कर उस नाटककार को देदो। अबाबील नीलम आदमी को देकर वापस आया और बोला, मै अलबिदा कहने के लिए आया हूँ। इस पर हैप्पी प्रिंस  ने एक दिन और रुकने के लिए कह दिया। और अबाबील मना नहीं कर पाया। 


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अब एक और काम अबाबील को करना पड़ा , राजकुमार के आज्ञा से  उसने आँख कि दूसरी मणि निकाल कर उस लड़की को दे दिय। जिसकी सारी माचिसें नाली में गिरने से वह रो रही थी। अबाबील निर्णय लेता है कि अब मै तुम्हारे साथ ही रहूँगा क्योंकि तुम अब अंधे हो चुके हो। अच्छी बात है , तब तुम एक और काम कर दो। देखो!  सबसे अद्भुत वस्तु मानव कष्ट होता है। और मानव कष्ट सबसे बड़ा रहस्य है। 

अभी शहर में काफी भूंखे बच्चे और गरीब व्यक्ति है। तुम उन सबको मेरे शरीर से सोने के पतले -पतले पत्तो को उतारकर  उन सबको देदो। वे सब खुश हो जायेंगे। 

अबाबील वैसा ही करता है। तभी बर्फ गिरने लगी और फिर पाला। हर एक वस्तु सफ़ेद दिखाई देने लगी। छोटा अबाबील , बेचारा ! ठंडा होता गया , लेकिन उसने हैप्पी प्रिंस को नहीं छोड़ा, वह जान गया था कि मै और अधिक जीवित नहीं रह सकता.

इसलिए उसने हैप्पी प्रिंस को कहा कि मै तुम्हारा हाँथ चूमना चाहता हूँ। प्रिंस ने कहा, मुझे ख़ुशी है कि तुम मिस्र जा रहे हो। इसलिए उसने उसे अपने होंठ चूमने के लिए कहा। परन्तु अबाबील ने उसे बताया कि मै मिस्र नहीं जा रहा हूँ। मै मृत्यु के घर जा रहा हूँ। 

अबाबील की आँखे बंद हो जाती है और कभी नहीं खुलती। हैप्पी प्रिंस के पैरो के पास अपनी जान दे देता है। उसी समय हैप्पी प्रिन्स की मूर्ति के अंदर  एक दरार आ गयी।  हैप्पी प्रिंस का दिल दो टुकड़ो में टूट गया। अगली सुबह  मेयर अपने गार्ड के साथ उधर आए। उन्होंने मूर्ति कि तरफ देख कर कहा ,"अब हैप्पी प्रिंस सुन्दर नहीं दिख रहा।  इसलिए उसे भट्ठी में पिघला दिया। परन्तु टूटा दिल नहीं पिघला तो उसे बहार फेंक दिया गया। 

ऊपर वाला यनि परमात्मा सब देख रहा था।  उसने अपने देवताओं में से एक देवता को शहर से, दो कीमती वस्तुए लाने के लिए कहा।  देवता को वही टूटा दिल और अबाबील का मृत शरीर मिला जिसे वे परमात्मा को दिए।  परमात्मा  ने कहा ,ए छोटा पक्षी  स्वर्ग के बगीचे में गीत गायेगा और हैप्पी प्रिंस अपने सोने के शहर में सदा उसकी प्रशंसा करेगा।

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