- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के कार्यों को नियमित और नियंत्रित करने की दिशा में ब्रिटिश सरकार द्वारा उठाया गया पहला कदम था।
- इसके द्वारा पहली बार कंपनी के प्रशासनिक और राजनैतिक कार्यों को मान्यता मिली।
- इसके द्वारा भारत में केंद्रीय प्रशासन की नींव रखी गयी।
- इस अधिनियम द्वारा बंगाल के गवर्नर को "बंगाल का गवर्नर जनरल" पद नाम दिया गया एवं उसकी सहायता के लिए एक चार सदस्यीय कार्यकारी परिषद् का गठन किया गया।
नोट : लॉर्ड वारेन हेस्टिंग्स बंगाल के प्रथम गवर्नर जनरल थे।
- इस अधिनियम द्वारा मद्रास एवं बम्बई के गवर्नर, बंगाल के गवर्नर जनरल के अधीन हो गये, जबकि पहले सभी प्रेसिडेंसियों के गवर्नर एक-दूसरे से अलग थे।
- इस अधिनियम के अंतर्गत कलकत्ता में 1774 में एक उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गई, जिसमें मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य न्यायाधीश थे।
- इसके अधिनियम के तहत कंपनी के कर्मचारियों को निजी व्यापार करने और भारतीय लोगों से उपहार व रिश्वत लेना प्रतिबंधित कर दिया गया।
- इस अधिनियम के द्वारा, ब्रिटिश सरकार का 'कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स' ( कंपनी की गवर्निंग बॉडी ) के माध्यम से कंपनी पर नियंत्रण सशक्त हो गया। इसे भारत में इसके राजस्व, नागरिक और सैन्य मामलों की जानकारी ब्रिटिश सरकार को देना आवश्यक कर दिया गया।
इस अधिनियम से रिलेटेड प्रश्नोत्तर
प्रश्न नं 1 : ब्रिटिश सरकार ने किस अधिनियम द्वारा भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के कार्यों को नियमित और नियंत्रित करने की दिशा में पहला कदम उठाया था?
उत्तर : 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के द्वारा
प्रश्न नं 2 : किस अधिनियम द्वारा बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल पद नाम दिया गया?
उत्तर : 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के द्वारा
प्रश्न नं 3 : बंगाल का पहला गवर्नर जनरल कौन था?
उत्तर : लॉर्ड वारेन हेस्टिंग्स
प्रश्न नं 4 : किस अधिनियम के अंतर्गत कलकत्ता में 1774 में एक उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गई थी?
उत्तर : 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के अंतर्गत
प्रश्न नं 5 : किस अधिनियम द्वारा पहली बार कंपनी के प्रशासनिक और राजनैतिक कार्यों को मान्यता मिली थी?
उत्तर : 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के अंतर्गत
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