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गांधी शांति पुरस्कार In Hindi | Gandhi Peace Prize 2020

गांधी शांति पुरस्कार In Hindi | Gandhi Peace Prize 2020

चर्चा में क्यों?

बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान और ओमान के दिवंगत सुल्तान, काबूस बिन सईद अल सैद को क्रमशः वर्ष 2020 और वर्ष 2019 के लिये गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।


प्रमुख बिंदु

गांधी शांति पुरस्कार:

  • इस वार्षिक पुरस्कार को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में अहिंसा के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन लाने वाले लोगों की पहचान करने हेतु स्थापित किया गया था।
  • पुरस्कार: इसमें एक करोड़ रुपए नकद राशि, एक पट्टिका और एक प्रशस्ति पत्र तथा एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/हथकरघा उत्पाद शामिल होता है।
  • यह पुरस्कार किसी व्यक्ति, संघ, संस्थान अथवा संगठन को दिया जा सकता है
    • इस पुरस्कार को दो व्यक्तियों/संस्थानों के बीच विभाजित भी किया जा सकता है, यदि चयनकर्त्ता यह मानते हैं कि वे दोनों समान रूप से पुरस्कार के योग्य है।
    • यह राष्ट्रीयता, पंथ, नस्ल या लिंग आदि के आधार पर भेदभाव किये बिना सभी को प्रदान किया जा सकता है।
  • गांधी शांति पुरस्कार

  • चयन समिति: विजेताओं का चयन करने वाली समिति में प्रधानमंत्री, देश का मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता, लोकसभा अध्यक्ष तथा सुलभ इंटरनेशनल का संस्थापक शामिल हैं और इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।

शेख मुजीबुर रहमान

  • उन्हें ‘बंगबंधु’ के नाम से जाना जाता था। वे बांग्लादेश के ‘जतिर पिता अर्थात् ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में भी जाने जाते हैं।
  •  शेख मुजीबुर रहमान का जन्‍म अविभाजित भारत के गोपालगंज ज़िले के तुंगीपारा गाँव (अब बांग्लादेश) में 17 मार्च, 1920 को हुआ था और उनका निधन 15 अगस्त, 1975 को ढाका, बांग्लादेश में हुआ।
    • वर्ष 2020 में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी मनाई गई थी।
  • वह एक बंगाली नेता थे, जो बांग्लादेश के पहले प्रधानमंत्री (1972-75) बने और वर्ष 1975 में वहाँ के राष्ट्रपति बने।
  • उन्होंने अपने औपचारिक राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1949 में अवामी लीग के सह-संस्थापक के रूप में की थी। 
  • उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के लिये राजनीतिक स्वायत्तता की वकालत की और यही हिस्सा आगे चलकर बांग्लादेश के रूप में अस्तित्व में आया।
  • उन्हें गांधी शांति पुरस्कार 2020 के लिये चुना गया है, क्योंकि उन्होंने अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक परिवर्तन लाने में उत्कृष्ट योगदान दिया था।
  • वे मानव अधिकारों और स्वतंत्रता के पक्षधर थे और न केवल बांग्लादेश के लोगों बल्कि भारतीयों के लिये भी वे एक नायक हैं।
    • शेख मुजीबुर रहमान की विरासत और प्रेरणा ने दोनों देशों के संबंधों को अधिक व्यापक और गहन किया है तथा उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग की वजह से पिछले एक दशक में दोनों देशों ने साझेदारी, प्रगति और समृद्धि की मज़बूत नींव रखी है। 

काबूस बिन सईद अल सैद

  • वे अरब जगत के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले शासक रहे हैं। उन्होंने लगभग आधी शताब्दी तक ओमान पर शासन किया।
  • वर्ष 1970 में उन्होंने अंग्रेज़ों की मदद से ओमान में तख्तापलट किया और 29 वर्ष की उम्र में वे ओमान के सुल्तान बने।
  • वे एक दूरदर्शी नेता थे, अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के समाधान में संयम और मध्यस्थता की नीति ने उन्हें दुनिया भर में प्रशंसा और सम्मान दिलाया। 
  • उन्हें भारत और ओमान के बीच विशेष संबंधों का वास्तुकार भी माना जाता है। 
    • उन्होंने भारत में अध्ययन किया था और सदैव भारत के साथ विशेष संबंध बनाए रखने पर ज़ोर दिया।
  • गांधी शांति पुरस्कार 2019 भारत और ओमान के बीच संबंधों को मज़बूत करने और खाड़ी क्षेत्र में शांति को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों को मान्यता देता है।
यह पुरस्कार पाने वालों में तंजानिया के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जूलियस न्येरे, जर्मनी के डॉ. गेरहार्ड फिशर, रामकृष्ण मिशन, बाबा आम्टे, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, बंग्लादेश ग्रामीण बैंक, दक्षिण अफ्रीका के आर्कबिशप डेसमंड टूटू,  चंडी प्रसाद भट्ट और इसरो के नाम शामिल हैं. इस पुरस्कार से 2015 में विवेकानंद केंद्र, साल 2016 में संयुक्त रूप से अक्षय पात्र फाउंडेशन, भारत और सुलभ इंटरनेशनल, 2017 में एकल अभियान ट्रस्ट और साल 2018 में जापान के योही ससाकावा को सम्मानित किया गया था। 

स्रोत: द हिंदू

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