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स्वामी कोष | Swami Khosh

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मुंबई में स्वामी (सस्ते और मध्यम-आय वर्ग के आवासों के लिये विशेष विंडो) कोष के तहत एक आवासीय परियोजना को पूरा करने के लिये किये गए निवेश के पूर्ण निष्कासन की घोषणा की है।

  • इसके अंतर्गत सात परियोजनाओं में 1,500 से अधिक घरों को पहले ही पूरा कर लिया गया है और हर साल कम-से-कम 10,000 घरों को पूरा करने का लक्ष्य है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • यह एक सरकार समर्थित कोष है जिसे सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के साथ पंजीकृत श्रेणी- II एआईएफ (वैकल्पिक निवेश कोष) डेट कोष के रूप में वर्ष 2019 में स्थापित किया गया था।
      • वर्ष 2019 में रियल एस्टेट सेक्टर ने तरलता दबाव और कैश ट्रैप की स्थिति का सामना किया जिससे सरकार को इस योजना को शुरू करने के लिये प्रेरित करना मुश्किल हो गया।
      • तरलता दबाव या कैश ट्रैप एक ऐसी स्थिति है जहां ब्याज दरें इतनी कम हो जाती हैं कि निवेशक निवेश करने के बजाय बचत करना पसंद करते हैं।
    • एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) सीएपी वेंचर्स कोष का निवेश प्रबंधक है जो एसबीआई कैपिटल मार्केट्स तथा एसबीआई की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।
    • कोष के प्रायोजक के रूप में भारत सरकार का सचिव,आर्थिक मामलों के विभाग तथा वित्त मंत्रालय को शामिल किया गया है।
  • पात्रता मापदंड:
    • SWAMIH से लास्ट मील फंडिंग की मांग करने वाली उन रियल एस्टेट परियोजनाओं को रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम (रेरा) के तहत पंजीकृत होना चाहिये जो अपर्याप्त राशि के कारण बंद पड़ी हुई है।.
      • इनमें से प्रत्येक परियोजना पूरी होने के बहुत करीब होनी चाहिये।
    • इन्हें 'सस्ती और मध्यम आय परियोजना' श्रेणी (ऐसी आवास परियोजनाएँ जिनमें आवास इकाइयों का आकार 200 वर्ग मीटर से अधिक नहीं हैं) के अंतर्गत भी आना चाहिये।
    • नेट-वर्थ पॉजिटिव परियोजनाएँ भी स्वामी फंडिंग के लिये पात्रता रखती हैं। नेट-वर्थ पॉजिटिव परियोजनाएँ वे हैं जिनके लिये परिसंपत्ति का मूल्य देयता से अधिक होता है |
  • उद्देश्य:
    • रुकी हुई आवास परियोजनाओं को पूरा करने में सक्षम बनाने और घर खरीदारों को अपार्टमेंट की डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिये वित्तपोषण प्रदान करना।
  • स्वामी फंड का महत्त्व:
    • यह रियल एस्टेट क्षेत्र में तरलता को अनलॉक करने में मदद करता है तथा सीमेंट और स्टील जैसे कोर उद्योग को बढ़ावा देता है।

वैकल्पिक निवेश कोष:

  • परिचय:
    • भारत में स्थापित या निगमित कोई भी कोष जो निजी रूप से एक जमा निवेश साधन है तथा अपने निवेशकों के लाभ के लिये एक परिभाषित निवेश नीति के अनुसार निवेश करने हेतु परिष्कृत निवेशकों, चाहे भारतीय हो या विदेशी, से धन एकत्र करता है।
      • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) विनियम (AIFs), 2012 के विनियम 2(1)(बी) में AIFs की परिभाषा दी गई है।
      • AIF में कोष प्रबंधन गतिविधियों को विनियमित करने के लिये सेबी (म्यूचुअल फंड) विनियम, 1996, सेबी (सामूहिक निवेश योजना) विनियम, 1999 या बोर्ड के किसी अन्य विनियम के तहत शामिल धन शामिल नहीं है।

श्रेणियाँ:

  • श्रेणी- I:
    • इन कोषों का निवेश उन व्यवसायों में किया जाता है जिनमें वित्तीय रूप से बढ़ने की क्षमता होती है जैसे स्टार्टअप, लघु और मध्यम उद्यम।
    • सरकार इन उपक्रमों में निवेश को प्रोत्साहित करती है क्योंकि उच्च उत्पादन और रोज़गार सृजन के संबंध में उनका अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
    • उदाहरणों में अवसंरचना कोष, एंजेल फंड, वेंचर कैपिटल फंड और सोशल वेंचर फंड शामिल हैं।
  • श्रेणी- II:
    • इस श्रेणी के तहत ‘इक्विटी सिक्योरिटीज़’ और ‘डेट सिक्योरिटीज़’ में निवेश किये गए कोष शामिल हैं। वे कोष जो पहले से क्रमशः श्रेणी- I और III के अंतर्गत नहीं हैं, उन्हें भी इसमें शामिल किया गया है।
      • श्रेणी- II AIFS के लिये किये गए किसी भी निवेश हेतु सरकार द्वारा कोई रियायत नहीं दी जाती है।
    • इन उदाहरणों में रियल एस्टेट फंड, डेट फंड, प्राइवेट इक्विटी फंड शामिल हैं।
  • श्रेणी- III:
    • ये ऐसे कोष हैं जो कम समय में रिटर्न देते हैं।
    • ये कोष अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये जटिल और विविध व्यापारिक रणनीतियों का उपयोग करते हैं। विशेष रूप से सरकार द्वारा इन निधियों हेतु कोई रियायत या प्रोत्साहन नहीं दिया गया है।
    • उदाहरणों में ‘हेज फंड’, सार्वजनिक इक्विटी कोष में निजी निवेश आदि शामिल हैं।

RERA:

  • शुरुआत:
    • रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम (RERA), 2016 संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जो 1 मई, 2017 से पूरी तरह से लागू हुआ।
      • प्रभावी अधिकार क्षेत्र के नियमन के लिये राज्य में नियामक (RERA) का कार्यान्वयन प्रभावी है।
  • लक्ष्य:
    • यह घर खरीदारों की सुरक्षा करने के साथ-साथ रियल एस्टेट की बिक्री/खरीद में दक्षता और पारदर्शिता लाकर रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने में मदद करता है।

स्रोत- द हिंदू

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