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चांदनी रात में रंग ले हाथ में ज़िंदगी को नया मोड़ दें Poem By Vishnu saxena | Vishnu Saxena ki Kavita | Vishnu Saxena ki Shayari | Vishnu Saxena Poetry

चांदनी रात में रंग ले हाथ में ज़िंदगी को नया मोड़ दें Poem By Vishnu saxena | Vishnu Saxena ki Kavita | Vishnu Saxena ki Shayari | Vishnu Saxena Poetry

चांदनी रात में रंग ले हाथ में ज़िंदगी को नया मोड़ दें

चांदनी रात में रंग ले हाथ में ज़िंदगी को नया मोड़ दें
तुम हमारी कसम तोड़ दो हम तुम्हारी कसम तोड़ दें

प्यार की होड़ में दौड़कर देखिए 
झूटे बंधन सभी तोड़कर देखिए
श्याम रंग में जो मीरा ने चूनर रंगी
वो ही चूनर ज़रा ओढ़कर देखिए
तुम अगर साथ दो हाथ में हाथ में हाथ दो
सारी दुनिया को हम छोड़ दें
तुम हमारी कसम तोड़ दो 
हम तुम्हारी कसम तोड़ दें

देखिए मस्त कितनी बसंती छटा 
रंग से रंग मिलकर के बनती हवा 
सिर्फ़ दो अंक का प्रश्न हल को मिला 
जोड़कर नाता तुमने दिया है घटा

एक हैं अंक हम एक हो अंक तुम
आओ दोनों को यूं जोड़ दें
तुम हमारी कसम तोड़ दो
हम तुम्हारी कसम तोड़ दें

आओ मेंहदी महावर की शादी करें
उम्र भर साथ रहने का आदी करें
फूल से पंखुरी अब न होगी अलग 
सारे उद्यान में ये मनादी करें

हमको जितना दिखा सिर्फ़ तुमको लिखा
अब ये पन्ना यहीं मोड़ दें
तुम हमारी कसम तोड़ दो
हम तुम्हारी कसम तोड़ दें 

                                           :- Dr. Vishnu Saxena(विष्णु सक्सेना)


Chandani Raat Mein Rang len haath ko naya mod den Poem By Vishnu saxena | Vishnu Saxena ki Kavita | Vishnu Saxena ki Shayari | Vishnu Saxena Poetry


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