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भारत ने दी आकाश मिसाइल प्रणाली के निर्यात को मंजूरी!!!

भारत ने दी आकाश मिसाइल प्रणाली के निर्यात को मंजूरी!!!

Quick digest: गौरतलब है कि आकाश मिसाइल को साल 2014 में भारतीय वायु सेना तथा साल 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था।

आकाश मिसाइल 30 किलोमीटर की एक अवरोधक सीमा के साथ एक सतह-से-हवा मिसाइल है। इसका वज़न 720 किलोग्राम, व्यास 35 सेमी व लम्बाई 5.78 मीटर की है। आकाश मिसाइल सुपरसोनिक गति पर, 2.5 मैक के आसपास पहुंचती है। यह 18 किमी की ऊंचाई तक पहुंच सकती है और ट्रैक और पहिएदार दोनों प्लेटफार्मों से फायर किया जा सकता है। एकचूएटर सिस्टम के साथ मिलकर एक ऑन-बोर्ड मार्गदर्शन प्रणाली 15 जी के लोड तक मिसाइल का उपयोग कर सकती है और पूंछ का पीछा करने की क्षमता काम तमाम करने की योग्यता प्रदान करती है। एक डिजिटल प्रोक्सिमिटी फ्यूज 55 किलो के पूर्व-विखंडित बम के साथ युग्मित है, जबकि सुरक्षा आर्मिंग और विस्फोट तंत्र एक नियंत्रित विस्फोट अनुक्रम (सीक्वेंस) सक्षम बनाता है। एक आत्म-विनाश डिवाइस भी एकीकृत है। यह एकीकृत रैमजेट रॉकेट इंजन द्वारा संचालित है रैमजेट प्रणोदन (इग्निशन) प्रणाली का इस्तेमाल उड़ान में रफ़्तार कम हुए बिना निरंतर गति को सक्षम बनाता है। मिसाइल की पूरी उड़ान में कमांड गाइडेंस है।
आकाश मिसाइल का डिजाइन एसए -6 के समान है, जिसमें चार लम्बी ट्यूब रैमजेट इनलेट नलिकाएं पंखों के बीच मध्य-शरीर पर हैं। पिच / यॉ कंट्रोल के लिए चार क्लिप किए गए त्रिकोणीय पंखों को मध्य-शरीर पर रखा गया है। रोल नियंत्रण के लिए पूंछ के सामने एलीयरॉन के साथ चार इनलाइन क्लिप्ड डेल्टा पंख लगाए जाते हैं। हालांकि, आंतरिक स्कीमा ऑनबोर्ड डिजिटल कंप्यूटर के साथ एक अलग लेआउट दिखाती है, कोई अर्ध-सक्रिय सीकर नहीं, अलग प्रोपेलेंट, विभिन्न एक्ट्यूएटर और कमांड मार्गदर्शन डेटालिंक्स। आकाश में एक ऑनबोर्ड रेडियो प्रोक्सिमिटी फ़्यूज़ होता है।

आकाश मिसाइल की समग्र तकनीक में शामिल हैं रेडॉम असेंबली, बूस्टर लाइनर, एबलेट लाइनर, टावर लाइनर आदि।

भारत ने दीआकाश मिसाइल प्रणाली के निर्यात को मंजूरी!!!

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आकाश मिसाइल प्रणाली के निर्यात को 30 दिसंबर 2020 को मंजूरी प्रदान की। इसके साथ ही निर्यात को तेजी से सुगम बनाने हेतु एक समिति गठित करने का भी निर्णय किया गया। रक्षा मंत्रालय की विज्ञप्ति के मुताबिक आत्मनिर्भर भारत के तहत देश रक्षा उपकरणों और मिसाइलों के व्यापक प्रारूपों के निर्माण की क्षमता बढ़ा रहा है।


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया कि आकाश देश की महत्वपूर्ण मिसाइल है और 96 प्रतिशत स्वदेशी प्रकृति की है। उन्होंने कहा कि आकाश का निर्यात प्रारूप वर्तमान में भारतीय सशस्त्र सेनाओं के साथ तैनात प्रणाली से अलग होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में आकाश मिसाइल प्रणाली के निर्यात के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।


गौरतलब है कि आकाश मिसाइल को साल 2014 में भारतीय वायु सेना तथा साल 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। मिसाइल सिस्टम को खरीदने के लिए दक्षिण एशिया और अफ्रीका के 9 देशों ने खरीदने में रुचि दिखाई है। बयान के मुताबिक, आकाश के अलावा अन्य प्रमुख उपकरणों जैसे तटीय निगरानी प्रणाली, रडार और वायु उपकरणों में भी रुचि दिखाई जा रही है।


मंत्रालय के बयान के मुताबिक, रक्षा सेवाओं में इसके शामिल होने के बाद, अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी/रक्षा प्रदर्शनी/एयरो इंडिया के दौरान कई मित्र देशों ने आकाश मिसाइल में अपनी रुचि दिखाई। मंत्रिमंडल की मंजूरी से विभिन्न देशों द्वारा जारी आरएफआई/आरएफपी में भाग लेने के लिए भारतीय निर्माताओं को सुविधा मिलेगी।


भारत सरकार ने पांच अरब अमेरिकी डॉलर के रक्षा निर्यात के लक्ष्य को प्राप्त करने और मित्र देशों के साथ रणनीतिक संबंधों को बेहतर बनाने हेतु उच्च मूल्य वाले रक्षा प्लेटफॉर्म के निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने का विचार किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मंत्रिमंडल के इस फैसले से देश को अपने रक्षा उत्पादों को बेहतर बनाने और उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी।


आकाश एयर डिफेंस सिस्टम सतह से हवा में मार करने वाली एक मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता 25 किलोमीटर  तक है। आकाश मिसाइल लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों और ड्रॉन पर सटीक लक्ष्य साध सकती है। 


आकाश मिसाइल प्रणाली पूरी तरह स्वदेशी है और भारत में ही इसका विकास किया गया है। यह भारत की पहली स्वदेशी रुप से डिजाइन की गई मिसाइल प्रणाली है। यह लड़ाकू जेट, क्रूज मिसाइल, ड्रॉन और अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर सटीक निशाने के साथ हमला करने में सक्षम है।


यह किसी भी मौसम में दुश्मन पर हमला कर सकती है। इस मिसाइल का पहला परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर रेंज से साल 2017 में किया गया था। इस मिसाइल की कामयाबी के बाद भारत को जमीन से हवा में मारने वाली तकनीक हासिल हो गई थी।


इसमें लड़ाकू जेट विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता है। 


भारत अभी कुल 42 देशों को रक्षा सामग्री निर्यात कर रहा है, जिसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, स्वीडन, म्यांमार, श्रीलंका, मॉरिशस जैसे देश शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कतर, लेबनॉन, ईराक, इक्वाडोर और जापान जैसे देशों को भारत बॉडी प्रोटेक्टिंग उपकरण निर्यात कर रहा है। भारत सरकार ने 2025 तक 35 हजार करोड़ रूपये के रक्षा उत्पाद निर्यात करने का लक्ष्य रखा है।

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