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जल जीवन मिशन (शहरी)

जल जीवन मिशन (शहरी)

चर्चा में क्यों? 

वित्तीय वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में सतत् विकास लक्ष्य-6 (SDG-6) के अनुसार, सभी शहरों में कार्यात्मक नल के माध्यम से घरों में पानी आपूर्ति की सार्वभौमिक कवरेज प्रदान कराने हेतु केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत जल जीवन मिशन (शहरी) योजना की घोषणा की गई है।  

जल जीवन मिशन (शहरी)

  • यह जल जीवन मिशन (ग्रामीण) का पूरक है जिसके तहत वर्ष 2024 तक कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) के माध्यम से सभी ग्रामीण घरों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर जल की आपूर्ति की परिकल्पना की गई है।

प्रमुख बिंदु: 

जल जीवन मिशन (शहरी) का उद्देश्य:

  • नल और सीवर कनेक्शन की पहुँच सुनिश्चित करना :
    • शहरी क्षेत्रों में अनुमानित 2.68 करोड़ घरेलू कार्यात्मक नल कनेक्शनों के अंतर को समाप्त करना।
    • 500 अमृत शहरों में 2.64 करोड़ घरों को सीवर कनेक्शन/सेप्टेज की सुविधा प्रदान करना।
    • इस योजना की कार्यान्वयन अवधि पाँच वर्ष रखी गयी है।
    • यह योजना 2021 से 2026 तक पांच वर्ष की अवधि के लिए लागू की गई है।
  • जल निकायों का पुनरुत्थान : 
    • ताज़े पानी की स्थायी आपूर्ति बढ़ाना और शहरी जलभृत प्रबंधन योजना के माध्यम से पानी की गुणवत्ता में सुधार करना तथा बाढ़ की घटनाओं को काम करने के लिये ग्रीन स्पेस और स्पंज सिटी (Sponge city) का निर्माण करना।
      • स्पंज सिटी (Sponge city) एक ऐसे शहर को कहते हैं जो शहरी जल प्रबंधन को शहरी नियोजन नीतियों और डिज़ाइनों द्वारा मुख्यधारा में लाने की क्षमता रखती है।
  • चक्रीय जल अर्थव्यवस्था की स्थापना: 
    • उपचारित सीवेज के पुनर्चक्रण/पुन: उपयोग, जल निकायों के कायाकल्प और जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रत्येक शहर के लिये जल संतुलन योजना के विकास के माध्यम से पानी की चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना।

जल जीवन मिशन (शहरी) की विशेषताएँ:

  • नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग: 
    • जल के क्षेत्र में नवीनतम वैश्विक प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने हेतु एक प्रौद्योगिकी उप-मिशन को प्रस्तावित किया गया है। 
  • जन जागरूकता का प्रसार:
    • जल संरक्षण के बारे में आम लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिये ‘सूचना, शिक्षा और संचार’ (IEC) अभियान का प्रस्ताव किया गया है।
    • जल जीवन मिशन का प्रयास पानी के लिये एक जनांदोलन तैयार करना है, अर्थात् इसके तहत सभी लोगों को प्राथमिकता दी गई है।
  • समान वितरण के लिये सर्वेक्षण:
    • शहरों में एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया के माध्यम से जल  के समान वितरण, अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग और जल निकायों का मानचित्रण तथा जल की मात्रा एवं गुणवत्ता का पता लगाने के लिये पेयजल सर्वेक्षण (Peyjal Survekshan) का कार्य किया जाएगा। 
  • शहरी स्थानीय निकायों की मज़बूती पर विशेष ज़ोर:
    • गैर-राजस्व जल (Non-Revenue Water) को 20% से भी कम करने का प्रयास।  
      • गैर-राजस्व जल, किसी जल वितरण प्रणाली में उपलब्ध जल की कुल मात्रा और ग्राहकों को एक निर्धारित राजस्व पर उपलब्ध कराए जाने वाले जल की मात्रा के बीच का अंतर है। दूसरे शब्दों में कहें तो NRW वह जल है जिसकी उपलब्धता तो है परंतु वह ग्राहकों तक नहीं पहुँच पाता या उसकी गणना नहीं हो पाती।  
    • शहरों में जल की कम-से-कम 20% मांग और राज्य स्तर पर औद्योगिक जल की कम-से-कम 40% मांग को पूरा करने के लिये जल का पुनर्चक्रण 
    • दोहरी पाइपिंग प्रणाली को बढ़ावा देना।
    • नगरपालिका बॉण्ड जारी कर धन जुटाना।
    • जल निकायों का पुनरुत्थान।
  • पीपीपी मॉडल को बढ़ावा देना: 
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने हेतु 10 लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों के लिये अपने कुल परियोजना निधि आवंटन की न्यूनतम 10% लागत के बराबर की परियोजनाओं को पीपीपी मॉडल के तहत पूरा करना अनिवार्य किया गया है।
  • वित्तपोषण:
    • केंद्रशासित प्रदेशों में 100% केंद्रीय वित्तपोषण। 
    • पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों के लिये परियोजनाओं की कुल लागत में 90% का वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा। 
    • 1 लाख से कम आबादी वाले शहरों के लिये केंद्रीय वित्तपोषण 50%, 1 लाख से 10 लाख तक की आबादी वाले शहरों के लिये एक-तिहाई केंद्रीय वित्तपोषण और दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के लिये 25% केंद्रीय वित्तपोषण किया जाएगा।
    • परिणाम आधारित वित्तपोषण:
      • परियोजनाओं के लिये सरकार द्वारा वित्तपोषण तीन चरणों (20:40:40) में किया जाएगा।
      • योजना कार्यान्वयन के परिणामों के आधार पर ही तीसरी किस्त जारी की जाएगी। 
  • भारत में स्वच्छ जलापूर्ति की स्थिति
  • 2021 के केंद्रीय बजट में शहरी क्षेत्रों के लिए घोषित सार्वभौमिक जल आपूर्ति योजना केंद्र सरकार की 2019 में लॉंच की गयी ग्रामीण जलापूर्ति योजना का ही एक भाग है।
  • यह मिशन सभी घरों तक नल-जल की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए देश का 12वां प्रयास है, जिसे 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • इससे पहले के सभी प्रयासों में भारत एक भी वांक्षित सफलता प्राप्त नहीं की है।
  • जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन से जुड़े जल शक्ति मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस योजना के तहत अभी तक केवल लक्षित घरों (6.55 करोड़) में से केवल 34 प्रतिशत घरों तक ही नल-जल की पहुंछ सुनिश्चित हो सकी है।
  • अक्टूबर 2019 तक भारत के गांवों में हर घर में शौचालय निर्माण के लिए शुरू किए गए केंद्र के फ़्लैगशिप स्वच्छ भारत मिशन को सफल घोषित किया गया है। इसके बाद ग्रामीण भारत में नल के पानी की आपूर्ति को एक बड़ी आवश्यकता मानते हुए इसे पूरा किए जाने पर बल दिया जाना चाहिये।
  • 2012 और 2017 के बीच ग्रामीण जल आपूर्ति की स्थिति का विश्लेषण करने वाली CAG की रिपोर्ट के अनुसार, 4.76 लाख बस्तियां, जहां पूरी तरह से नल-जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा चुकी थी, अब वह बस्तियाँ आंशिक नल-जल आपूर्ति के दायरे में वापस आ गयी हैं। जिससे यह यह पता चलता है एक सिर्फ पहुँच स्थापित कर देना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उसे बनाए रखना भी आवश्यक है।

शहरी विकास के लिये अन्य प्रयास:

  • स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U)
  • प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) 
  • अमृत मिशन (Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation -AMRUT)
  • स्मार्ट सिटी मिशन (Smart City Mission)

स्रोत:  द हिंदू

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