बहुत हुआ रूहानी इश्क़ अब के तो मिलना है तुमसे
बहुत हुआ रूहानी इश्क़ अब के तो मिलना है तुमसे,
ग़ज़लें नही लिखनी है छुना है तुमको…
वो हज़ार बार के पढ़े हुए खत एक और बार नही पढ़ने है मुझे,
मुझे अपनी उंगलिया तुम्हारी हाथेली पे चाहिए…
चूम लेना है माथा तुम्हारा, सीने से लगा लेना है तुमको, बाहो में भर लेना है..बहुत हुआ रूहानी इश्क़ अब के तो मिलना है तुमसे,
बहुत हुआ रूहानी इश्क़ अब के तो मिलना है तुमसे,
और फोन पे तो बिल्कुल बात नही करनी है,
पर तुम्हारे कानो पर से बाल हटाना है, और एक छोटी सी बाली पहना देना है तुमको…
बिछिया, पायल, बिंदी सब कुछ अपने हाथो से पहनना है,
अब खुश्बू महसूस नही करनी है तुम्हारी…
बस पलकों को बंद होते हुए और खुलते देखना है,
कुछ काम बताना है तुमको,
फिर तुम्हारे उठकार जाने पर कलाई से पकड़कर बैठा देना है तुमको,
बहुत हुआ रूहानी इश्क़ अब के तो मिलना है तुमसे…
~Zakir Khan
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