डीएनए फिंगरप्रिंटिंग(DNA Fingerprinting) In Hindi
डीएनए फिंगरप्रिंटिंग(DNA Fingerprinting) क्या है? इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालिए?
आनुवंशिक स्तर पर लोगों की पहचान सुनिश्चित करने की तकनीक को ही डीएनए फिंगरप्रिंटिंग या डीएनए प्रोफाइलिंग कहते हैं। वस्तुतः या एक जैविक तकनीक है, जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति के विभिन्न अवयवों - रुधिर, बाल, लार, वीर्य या अन्य कोशिकीय स्रोतों की सहायता से उसके डीएनए की पहचान सुनिश्चित की जाती है। डीएनए फिंगरप्रिंटिंग(DNA Fingerprinting) किस आधार पर कार्य करती है?
डीएनए फिंगरप्रिंटिंग(DNA Fingerprinting) मुख्यतः इस आधार पर कार्य करती है कि प्रत्येक मानव में पाई जाने वाली डीएनए पुनरावृत्ति(DNA Replication) एकसमान नहीं होती है अर्थात प्रत्येक व्यक्ति का डीएनए प्रारूप एक अद्वितीय प्रारूप होता है।डीएनए फिंगरप्रिंटिंग(DNA Fingerprinting) की पहचान किस प्रकार की जाती है?
डीएनए फिंगरप्रिंटिंग(DNA Fingerprinting) के अंतर्गत पहचान करने के लिए दो नमूने लिए जाते हैं- एक विवादित बच्चे अथवा संदिग्ध व्यक्ति का और दूसरा उसके माता-पिता या किसी नजदीकी सम्बन्धी(रक्त सम्बन्धी) का। यह ज्ञात है कि मात्र श्वेत रक्त कणिकाओं(WBCs) में ही डीएनए पाया जाता है, जबकि लाल रक्त कणिकाओं(RBCs) में डीएनए नहीं पाया जाता है।डीएनए फिंगरप्रिंट प्राप्त करने के लिए पहले प्राप्त नमूने का शुद्धीकरण किया जाता है। शुद्धिकृत डीएनए को रेस्ट्रिक्शन एंजाइम की सहायता से निश्चित बिंदुओं से काटा जाता है। इस प्रकार विभिन्न लम्बाई के हिस्सों को एक जेल(Gel) पर रखकर विद्युत प्रवाहित कि जाती है। छोटे हिस्से अपेक्षाकृत अधिक तेज़ी से धनाग्र(एनोड) कि ओर आकर्षित होते हैं। इस प्रकार ये क्रमबद्ध हो जाते हैं। इन द्विकुंडलित डीएनए को सोख्ता तकनीक (Blotting Technique) द्वारा एकल कुंडलियों के रूप में विभक्त किया जाता है। इन टुकड़ों को नायलॉन शीट पर स्थानांतरित किया जाता है। इन टुकड़ों को ऑटोरेडियोग्राफी तकनीक द्वारा रेडियोऐक्टिव तत्त्वों से युक्त कृत्रिम डीएनए से जोड़ा जाता है।
एक्स-रे से गुजारे जाने पर रेडियोऐक्टिव तत्त्वों से जुड़े हुए हिस्से फिल्म पर काले धब्बे छोड़ते हैं। इस प्रकार एक निश्चित पैटर्न प्राप्त होता है, जिसे डीएनए फिंगरप्रिंटिंग कहते हैं। इस तरह से अगर पहचान हेतु लिए गए दोनों ही नमूनों कीबना श्रेणियां एक समान छाप छोड़ती हैं तो डीएनए परीक्षण के पॉजिटिव होने की पुष्टि कर दी जाती है।
What are the 5 steps of DNA fingerprinting?
प्रथम चरण में डीएनए का पृथक्करण तथा शुद्धिकरण किया जाता है। शुद्ध डीएनए में अनेक टैंडम पुनरावृत्त होते हैं।द्वितीय चरण में डीएनए को विशिष्ट जगहों पर काटकर विखंडित किया जाता है। इसके लिए विशेष रेस्ट्रिक्शन एंज़ाइम प्रयोग में लाए जाते हैं। ये रासायनिक कैंचियों की तरह कार्य करते हैं।
तृतीय चरण में विखण्डित डीएनए को जैल पर लगाया जाता है। विद्युत आवेश देने पर ये खण्ड अपने स्थान से विस्थापित होने लगते हैं। अपनी लम्बाई के हिसाब से डीएनए खाण्ड अलग हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को इलेक्ट्रोफोरेसिस कहते हैं।
चतुर्थ चरण में उपर्युक्त अलग किए गए डीएनए खंडों का डी-नैचुरेशन किया जाता है, यानि दोनों तंतुओं को अलग-अलग किया जाता है।
पंचम चरण में संपूरक डीएनए से बने हुए रेडियो सक्रिय प्रोब की मदद से पुराने विखण्डित डीएनए में से विशेष खण्डों की पहचान की जाती है। अतः रेडियो सक्रिय प्रोब के कारण विशेष डीएनए खण्डों को पहचान लिया जाता है।
डीएनए फिंगरप्रिंटिंग(DNA Fingerprinting) का उपयोग क्या है?
डीएनए फिंगरप्रिंटिंग तकनीक का उपयोग आपराधिक मामलों की गुत्थियां सुलझाने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही मातृत्व, पितृत्व या व्यक्तिगत पहचान को निर्धारित करने के लिए इसका प्रयोग होता है। वर्तमान में पहचान ढूंढने के तरीकों में फिंगरप्रिंटिंग सबसे बेहतर मानी जाती है।उपयोग
- पैतृक संपत्ति से सम्बंधित विवादों को सुलझाने के लिए।
- आनुवंशिक बीमारियों की पहचान एवं उनसे सम्बंधित चिकित्सकीय कार्यों के लिए।
- बच्चों के वास्तविक माता-पिता की पहचान के लिए।
- आपराधिक गतिविधियों से सम्बंधित गुत्थियों को सुलझाने के लिए।
- शवों की पहचान करने के लिए।
- अपराधों एवं पारिवारिक मामलों की जाँच में।
- प्रतिरक्षा प्रलेख में।
- आयुर्विज्ञान एवं स्वास्थ्य जाँच में।
- वंशावली विश्लेषण में।
- कृषि एवं बागवान में।
- शोध एवं उद्योग में।
डीएनए फिंगरप्रिंटिंग का जनक कौन है?
दुनिया में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग के जनक सर एलेक जॉन जेफरीस हैं।डीएनए की खोज कब और किसने की?
वैकल्पिक भानुमति में एक कोशिका बस एक प्रक्रिया बुलाया डीएनए प्रतिकृति में अपने आनुवंशिक जानकारी कॉपी कर सकते हैं। डी एन ए की रूपचित्र की खोज अंग्रेजी वैज्ञानिक जेम्स वॉटसन और फ्रान्सिस क्रिक के द्वारा सन 1953 में किया गया था। इस खोज के लिए उन्हें सन 1963 में नोबेल पुरस्कार सम्मानित किया गया।डीएनए का पुराना नाम क्या है?
उन्होंने डीएनए का नाम उस समय न्यूक्लीक अम्ल दिया था. इसका नाम पहले न्यूक्लिन दिया गया क्योंकि ऐसा लगता था कि यह कोशिका नाभिक से आया है. वही 1874 के बाद, जब मिशर ने इसे प्रोटीन और एसिड घटकों में अलग किया तब इसे न्यूक्लिक एसिड के रूप में जाना जाने लगा.भारत में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग कौन लाया?
लालजी सिंह को भारत में डीएनए फिंगर प्रिंट का प्रवर्तक भी कहा जाता है। उनका जन्म 5 जुलाई 1947 को हुआ था।Read Also पंचायती राज व्यवस्था क्या है? | पंचायती राज व्यवस्था का महत्व | पंचायती राज व्यवस्था पर निबंध
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