आदत-सी होने लगी है- Gaurav
तू हर रोज़ लेती इम्तिहान मेरा...हर रोज मैं अव्वल आता हूं!तेरी मुश्किलों की वजह से ही तो मैंखुद को मुकम्मल कर पाता हूं।तेरे दर्द की वजह से मेरे जख्मों कीहिफाजत सी होने लगी है.....ए जिंदगी तुझसे लड़ने कीआदत सी होने लगी है।हर घड़ी तू देखने को एक नया ख्वाब देती है!अधूरे करने को सपने मेरे,तू मुश्किलें बेहिसाब देती है।तेरे इस रवैए से अब शिकायत सी होने लगी है....ए जिंदगी तुझसे लड़ने की आदत सी होने लगी है।तूनें क़िस्मत में मुझे आंसू दिए...मैं पीकर समंदर बन गया!तूने तोहफे में मुझे जंग दिए....मैं लड़कर सिकंदर बन गया!अब तो तेरे इस जंग से मोहब्बत सी होने लगी है....ए जिंदगी तुझसे लड़ने की आदत सी होने लगी है।एक झूठी सी कहानी है....मैं पूरी दुनिया को सुनाता हूं.....दर्द सीने में रख करमैं पूरी शिद्दत से मुस्कराता हूं......मगर शायद अब जमाने कोइस दर्द की आहट सी होने लगी है..ए जिंदगी तुझसे लड़ने की आदत सी होने लगी है।ए जिंदगी तुझसे लड़ने की आदत सी होने लगी है!!~GauravRead Also चांदनी रात में रंग ले हाथ में ज़िंदगी को नया मोड़ दें Poem By Vishnu saxena
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